महाराष्ट्र (Maharashtra) में 21 मई को विधान परिषद के चुनाव (Legislative Council elections) कराने को लेकर चुनाव आयोग ने हरी झंडी दे दी. अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) और पार्टी की वरिष्ठ नेता एवं विधान परिषद की उप सभापति नीलम गोरे (Neelam Gorhe) चुनाव लड़ सकेंगे. इसके साथ ही महाराष्ट्र में पिछले कुछ हफ्ते से चले आ रहे राजनीतिक संकट भी खत्म हो गया है.
पिछले साल 28 नवंबर को शपथ लेने वाले ठाकरे इस समय न तो विधानसभा के और न ही विधान परिषद के सदस्य हैं. मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए उन्हें 27 मई 2020 से पहले विधान परिषद का सदस्य बनना है. नीलम गोरे पुणे जिले में और मराठवाड़ा के कुछ हिस्सों में पार्टी के लिए काम कर रही हैं. पार्टी ने उनके साथ रहने का फैसला किया है. गोरे 2002 से विधान परिषद (एमएलसी) के सदस्य रहे हैं और उच्च सदन के उपाध्यक्ष भी हैं.
9 सीटों के लिए अप्रैल में चुनाव होने थे. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भी चुनाव आयोग से अनुरोध किया कि राज्य में विधान परिषद की 9 खाली सीटों पर जल्द से जल्द चुनाव करवाया जाए. ठाकरे को 27 मई तक कही से भी चुन कर आना होगा. अगर ऐसा नहीं होता तो फिर उन्हें पूरे मंत्रीमंडल के साथ इस्तीफा देना पड़ता.शिव सेना नेता ने बताया कि ठाकरे अगले कुछ दिन में नामांकन दाखिल करेंगे.
चुनाव आयोग की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 11 मई है और नामांकन वापस लेने के अंतिम तारीख 14 मई है. राज्य विधान में 288 सीटें हैं जिसमें भाजपा 105 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है. इसके बाद शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के क्रमश: 56, 54 और 44विधायक हैं. इधर भाजपा विधान परिषद चुनाव में अपने चार उम्मीदवारों को जिताने की जुगत में लगी है.